Kahanika LogoKahanika
Kinnar ka pyar: part - 2
Story

कहानी _ किन्नर का प्यार भाग_2

सुनंदा के घर में उसकी सहेली उससे मिलने आई हुई थी।वो भी एल एल बी करना चाहती थी ।इसलिए दोनो कॉलेज के बारे में आपस में विचार विमर्श करना चाहती थी। तूने कोई लॉ कॉलेज तय किया या नही ।सुनंदा ने राखी से पूछा । यह काम तेरा है मेरा नही मैं तो तेरी परछाई हूं जहा जहा तू जायेगी वहा वहा मैं भी जाऊंगी।राखी ने हंसते हुए कहा। अच्छा तू आगे चलकर मेरी सौतन बनने वाली है । तुझसे तो मुझे सावधान रहना पड़ेगा सुनंदा ने कहा ।और हंसने लगी। बन भी सकती हूं इसमें क्या दिक्कत है पड़ी रहूंगी तुम्हारे घर के किसी के कोने में राखी ने भी मजाक करते हुए कहा । खबरदार मैं सबकुछ शेयर कर सकती हूं लेकिन पति नही समझी न तू इतना कहकर सुनंदा हसने लगी । सुनंदा और राखी दोनो हसने लगी। तभी सुनंदा की मां सबके लिए चाय बिस्कुट लेकर आ गई।दोनो को हंसते देख कर पूछी क्या बात है दोनो बड़ी हंस रही हो। देखिए न आंटी मेरी पक्की सहेली होकर भी अपनी परछाई यानी मुझे अपना पति शेयर नही करना चाहती है। राखी ने हंसते हुए कहा । तुम भी न एक नंबर की बदमाश हो सुनंदा की मां ने हंसते हुए कहा लो दोनो चाय पिओ और हंसी मजाक छोड़ो आगे का अपना प्लान बताओ कहा एडमिशन लेने का सोचा है।कितना खर्चा पड़ेगा ।आखिर पैसे का इंतजाम भी तो मुझे ही करना है।इसके पापा तो सब मुझ पर ही छोड़ देते है।सुनंदा की मां ममता देवी ने कहा ।

आंटी दो दिन और समय दीजिए हम दोनो सब पता कर आपको बता देंगे।राखी ने कहा ।ठीक है जल्दी तय कर बता दो सब मैं चली रसोई घर में । ममता देवी ने कप प्लेट समेटते हुए कहा। उनके जाने के बाद सुनंदा ने कहा सखी मुझे राहुल से बात करने का बड़ा मन कर रहा है।देखो ने मेरे बर्थ डे पार्टी के बाद मुझे एक बार भी फोन नही किया यार जबकि उसे चेताया था वो मुझसे पहले फोन किया करे लेकिन देखो साहब को मेरी कुछ फिक्र ही नही है। सखी वो भी अपनी पढ़ाई की तैयारी में बिजी होगा तुम क्यों टेंशन लेती हो । फोन कर के देख लो । राखी ने कहा। सुनंदा ने राहुल को फोन लगाया ।उसके फोन उठाते ही सुनंदा उसपर बरस पड़ी । मैने क्या कहा था तुमको की मुझे फोन किया करना लेकिन तुमको तो फुरसत ही नहीं है न। सॉरी माफ करो सुनंदा मैं थोड़ा बिजी था सोचा था आज फोन करूंगा क्योंकि दो तीन दिन में मैं दिल्ली जाने वाला हूं। माफी वाफी कुछ नही मिलेगी पहले मुझसे आकर जुबली पार्क में मिलो वरना तुम्हारी खैर नहीं बता दे रही हूं। सुनंदा ने राहुल को डांटते हुए कहा । ठीक है ठीक है तुम नाराज मत हो बाबा मैं आता हूं ।बोलो कब आना है।राहुल ने जल्दी से कहा ।वो सुनंदा की नाराजगी से डर गया था। आज शाम को चार बजे आ जाना सुनंदा ने कहा । वाह सखी तुम तो अभी से राहुल पर हुक्म चलाने लगी बेचारा राहुल पता नही आगे क्या होगा उसका । राखी ने मजाक करते हुए कहा । तो क्या करूं सखी मेरे कहने के बाद भी उसने मुझे फोन नही किया तो गुस्सा नही आएगा क्या।आखिर मैं एक जवान और सुंदर लड़की हूं ।ये तो मेरी तौहीन हुई यार। हां वो तो है लेकिन जब आए उसपर गुस्सा मत करना ।जरा प्यार से मिलना ।झगड़ा मत कर लेना ।राखी ने कहा। उसे आने तो दो उसकी ऐसी खबर लूंगी की याद रखेगा वो।सुनंदा ने बनावटी गुस्सा करते हुए कहा। अरे नही सखी उसे धीरे धीरे प्यार से डांटना वरना कही डर कर भाग न जाए बेचारा राहुल और राखी हंसने लगी। सुनंदा भी हँसने लगी। तू भी मेरे साथ चलेगी समझी न मैं उससे पहली बार किसी पार्क में मिलने जा रही हूं।बड़ी झिझक और शर्म आ रही है।सुनंदा ने राखी से कहा। अरे तुम दोनो के बीच में मैं हड्डी क्यों बनू।तुम अकेली जाओ।जब प्यार किया है तो क्या शर्माना यार।राखी ने मना करते हुए कहा । अब मान भी जाओ सखी पहली बार मिल रहीं हूं न पार्क में ।अकेले डर लग रहा है।आज भर साथ चलो ।फिर नही बोलूंगी। चलो ठीक है जब तुम इतना जिद कर रही हो तो चलती हूं लेकिन बार बार नही चलूंगी।राखी ने सहमति देते हुए कहा। ये न हुई बात सहेली हो तुम्हारी जैसी। कहा जाने का प्रोग्राम बन रहा है तुम दोनो का ।तभी उसकी मां ममता देवी ने आते हुए पूछा । आंटी सुनंदा आज राहुल का खिंचाई करने जा रही है पार्क में शाम को चार बजे उसे बुलाया है।रखी ने मुस्कुराते हुए कहा। उसकी बात सुनकर ममता देवी चिंतित हो गई ।उन्होंने राखी को अपने कमरे में बुलाया राखी आओ मेरे कमरे में तुमसे एक जरुरी बात करनी है। तुम दोनो लॉ कॉलेज के बारे कोई फैसला न करके ये मिलने मिलाने क्या प्रोग्राम बना ली ।राखी के आते ही ममता देवी ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा।v आंटी मेरी सहेली की खुशी ही मेरी खुशी है।उसकी खुशी के लिए मैं उसका साथ दे रही हूं।पता नही आगे होने वाला है उसके साथ ।यही सोचकर मैं घबड़ा जाती हूं। राखी ने चिंतित होकर कहा । मेरे घर के अलावा अकेली तुम हो जो सुनंदा की सच्चाई के बारे में जानती हो ।फिर भी उसे राहुल से क्यों मिलाना चाहती हो।मैं नही चाहती हूं जब राहुल को उसकी सच्चाई पता चले तो वो सुनंदा को दिल पर कोई चोट पहुंचा दे।फिर पता नही वो क्या कर बैठे।मुझे इसी बात की चिंता है। ममता देवी ने चिंतित होकर कहा। आप चिंता मत करो आंटी मुझपर भरोसा रखो ।वैसे मैं भी साथ में जा रहीं हूं मैं सब संभाल लूंगी ।आप मेरी सहेली को खुशी का हर पल जी लेने दो।राखी ने उन्हे समझाते हुए कहा । ठीक है बेटी तुम कह रही हो तो जाओ लेकिन मैं चाहती हूं मौका देखकर सुनंदा को बोलो अपनी सच्चाई राहुल को बता दे।ताकि वो सुनंदा को दोष न दे सके। ठीक है आंटी मैं उसे समझा दूंगी।आप टेंशन मत लो। शाम को चार बजे सुनंदा और राखी जुबली पार्क में पहुंच गए।एक सीमेंट की खाली कुर्सी देखकर दोनो बैठ गई । वे दोनो राहुल का इंतजार कर रही थी।सुनंदा बड़ी बेचैनी से राहुल का इंतजार कर रही थी।वो बार बार अपनी घड़ी देख रही थी। थोड़ा धीरज रखो सखी तुम्हारा राहुल आता ही होगा।राखी ने उसे बैचेन देखकर संतवाना देते हुए कहा। यार ये लड़का कमाल करता है एक लड़की को इंतजार करवाता है आने दो मैं उसकी अच्छी से खबर लेती हूं।सुनंदा काफी गुस्से में थी । पार्क में काफी लोग थे ।कुछ बच्चे खेल रहे थे।कुछ विवाहित जोड़े और कुछ कुआरे जोड़े भी यहां वहा बैठकर आपस में बात चीत कर रहे थे।बड़ा सुंदर और मनोरम दृश्य था पार्क का मगर सुनंदा की कुछ भी अच्छा नही लग रहा था। तभी राहुल अपने दोस्त समीर के साथ सामने गेट से आता हुआ दिखाई दिया। उसे आता हुआ देखकर सुनंदा खुशी से उछल पड़ी मगर अपने आपको काबू में रखा और मुंह फुलाकर चुपचाप बैठ गई। राहुल मुस्कुराते हुए उसके सामने आकर खड़ा हो गया।लेकिन सुनंदा ने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया। अरे सखी देखो राहुल आ गया ।जिसका तुम इतनी बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी।अब आ गया तो मुंह फुलाकर बैठ गई।राखी ने कहा । सॉरी सुनंदा मैं जाम में फंस गया था इसलिए देर हो गई ।मुझे माफ करो और इस फूल के गुलदस्ते को स्वीकार करो।राहुल अपने घुटनों के बल उसके सामने बैठ गया और गुलदस्ता उसके सामने कर दिया । लेकिन सुनंदा अभी भी अपना मुंह घुमाए बैठी रही।राहुल ने गुलदस्ता अपने दोस्त को देकर अपना कान पकड़ते हुए कहा देखो मैं कान पकड़कर माफी मांगता हूं अब तो माफ कर दो । उसकी इस हरकत पर सुनंदा खिलखिलाकर हंस पड़ी और एक झटके में उठ खड़ी हुई ।उसने अपने दोनो हाथो से राहुल के हाथ पकड़कर ऊपर उठा दिया । चलो उठो नौटंकीबाज कही के ।एक तो इतना इंतजार करवाया ऊपर से मेरे सामने नीचे जमीन पर घुटने टेक रहे हो । तुम्हारी जगह जमीन पर नही मेरे दिल में है राहुल और वो राहुल के गले से लिपट कर रोने लगी ।बड़ी मुश्किल से राहुल ने उसे चुप कराया और समीर के हाथ से गुलदस्ता लेकर उसके हाथो मे थमा दिया। वो बच्चो की तरह खुशी से चहक उठी ।थैंक यू राहुल ।मुझे बहुत खुशी हुई।तुम्हारा गुलदस्ता लेकर। भगवान का लाख लाख शुक्र है तुम मान तो गई।राहुल ने राहत की सांस लेते हुए कहा।

शेष अगले भाग _ 3 में ।

लेखक_ श्याम कुंवर भारती बोकारो, झारखंड